कंप्यूटर का परिचय (Introducation of Computer)
कंप्यूटर शब्द लेटिन भाषा के कंप्यूट शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, गणना करना। अत: इसे संगणक कहा जाता है। यह एक ऐसा यंत्र है जो गणतीय क्रियाओ को तीव्र गति से सम्पन्न करता है।
कंप्यूटर की परिभाषा (Definition of Computer)
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रोनिक स्वचालित मशीन है, जो निर्देशों के नियंत्रण में डेटा पर क्रिया (Processing) करके सूचना प्रतिपादित करता है। यह राॅ डेटा को निवेश (Input) के रूप में स्वीकार करता है तथा उन पर क्रिया करके परिणाम के रूप में अर्थपूर्ण सूचनाएं प्रदर्शित करता है।
“Computer in an electronic device, which accepts raw data as input, processes it and provide meaninful information as results”
कंप्यूटर में डेटा ग्रहण करने तथा प्रोग्राम व निर्देशों के अनुसार उन्हें क्रियान्वित करने की क्षमता होती है। यह डेटा पर तार्किक एवं गणितीय क्रियाएं करने में साक्षम है। कंप्यूटर में डेटा एंटर करने के लिए इनपुट यंत्र होते है। डेटा प्रोसेस करने के लिए को यंत्र काम में लिया जाता है, उसे सीपीयू (Central Processing Unit) कहा जाता है। सीपीयू (CPU) कंप्यूटर के मस्तिक (Brain) के रूप में कार्य करता है। कंप्यूटर द्वारा प्रतिपादित परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए आउटपुट यत्रों का प्रयोग किया जाता है।
कंप्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer)
कार्य के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण निम्न प्रकार है।
डिजिटल कंप्यूटर ( Digital Computer)
एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer)
हायब्रिड कंप्यूटर (Hybrid कंप्यूटर)
आकर के आधार पर डिजिटल कंप्यूटर का वर्गीकरण निम्न है:-
माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)
सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
कंप्यूटर की विशेषताएं (Features of Computer)
कार्य करने की गति: कंप्यूटर के कार्य करने की गति बहुत तेज होती है। हिज कार्य को एक व्यक्ति कई घंटो, महीनों तथा वर्षों में पुरा करता है, उसे कंप्यूटर कुछ ही क्षणों में पुरा कर सकता है। कंप्यूटर की गति को माइक्रो सेकेण्ड (106), नैनो सेकेण्ड (109) तथा पिको सेकेण्ड (1012) में मापा जाता है।
उच्च भंडारण: क्षमता किसी भी डाटा को किसी भी रूप व मात्रा में कंप्यूटर में स्टोर करके रख सकते है कंप्यूटर की भंडारण क्षमता काफी अधिक होती है इसमें डाटा को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है और आवश्यकता अनुसार पुनः प्राप्त भी किया जा सकता है
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स्वचालित: कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन है जो यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों का बिना किसी मानवीय बाधा के संपन्न कर सकता है।
शुद्धता: यदि कंप्यूटर में इनपुट किए गए डाटा पूर्ण रूप से सही है तो कंप्यूटर शत प्रतिशत सही परिणाम देने की क्षमता रखता है इसलिए लोगों की कंप्यूटर के प्रति यह भावना है कि कंप्यूटर द्वारा द्वारा की गई गणना मैं गलती की संभावना शुन्य के बराबर होती है।
विविधता: कंप्यूटर का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग किसी भी प्रकार के दस्तावेज तैयार करने, प्रिंट करने, मनोरंजन आदि उद्देश्य के लिए किया जा सकता है। कंप्यूटर की इसी विशेषता के कारण हम इसमें एक से अधिक कार्य कर सकते हैं।
इंटीग्रिटी: कंप्यूटर किसी भी कार्य को ईमानदारी के साथ पूर्ण रूप से संपन्न करता है इससे कार्य को दोहराने की क्षमता होती है।
कंप्यूटर की कमियां (Limitation of Computer)
अधिक कीमत (High Cost)
वायरस से सुरक्षा का अभाव (Virus-Threat)
बुद्धिमता का अभाव (No Intelligence Power)
कंप्यूटर के उपयोग (Application of Computer)
आज के कंप्यूटर मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। निम्न क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रयोग अधिक किया जा रहा है।
डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing)
चिकित्सा विज्ञान (Medical Science)
यातायात (Transport)
प्रशासन (Administrtion)
व्यवसाय तथा ई-कॉमर्स (Business and E-Commerce)
शिक्षा (Education)
मनोरंजन (Entertainment)
नेट बैंकिंग (Net Banking)
कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (Generation of Computers)
Generation Period Particulars
Frist 1946 – 1955 इसमें आंतरिक कार्यों के लिए वैक्यूम ट्यूब या बॉल का प्रयोग किया जाता है।
Sceond 1956 – 1965 इन कंप्यूटर्स में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाता है।
Third 1966 – 1970 इनमें ट्रांजिस्टर के के स्थान पर इंटीग्रेटेड चिप (IC) का प्रयोग किया जाता है।
Fourth 1971 – 1985 इन कंप्यूटर्स में VLSIC का प्रयोग किया जाने लगा।
Fifth 1985….. इन कंप्यूटर्स में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग आंतरिक कार्यों के लिए किया जाने लगा।
कंप्यूटर संरचना (Computer Architecture)
कंप्यूटर की आंतरिक संरचना में प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों को कार्य के आधार पर चार इकाइयों (Units) में विभाजित किया जा सकता है।
इनपुट इकाई (Input Unit): इनपुट यूनिट में वे सभी उपकरण आते हैं जिसका प्रयोग कंप्यूटर सिस्टम में डाटा इनपुट करने या निर्देश देने के लिए किया जाता है। जैसे – कीबोर्ड, माउस, स्कैनर, लाइट पेन इन ऑप्टिकल मार्क रीडर आदि।
मेमोरी इकाई (Memory Unit): मेमोरी यूनिट कंप्यूटर सिस्टम कि वह इकाई है, जो इनपुट यूनिट द्वारा इनपुट किए गए डाटा को प्रोसेस से पहले, प्रोसेसिंग के दौरान तथा प्रोसेसिंग के बाद स्थाई या अस्थाई रूप से स्टोर करके रखती है।
प्रोसेसिंग इकाई (Processing Unit): कंप्यूटर सिस्टम में क्रिया से संबंधित सभी कार्य प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा किए जाते हैं जैसे गणितीय व तार्किक क्रियाएं करना, कंप्यूटर की अन्य इकाइयों को नियंत्रित करना। ये सभी कार्य कंप्यूटर सिस्टम की जिस भाग द्वारा किए जाते हैं, उसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) कहा जाता है। सीपीयू कई कंपोनेंट्स से मिलकर बना है इसके दो मुख्य अंग Arithmetic and Logic Unit (ALU) और Control Unit होते हैं।
आउटपुट इकाई (Output Unit): आउटपुट इकाई में वे सभी उपकरण आते हैं जिसका प्रयोग सूचना, निर्देशों तथा परिणामों को स्थाई या अस्थाई रूप से प्राप्त करने के लिए किया जाता है। जैसे- मॉनिटर, प्रिंटर, स्पीकर आदि।
इलेक्ट्रॉनिकल डाटा (Electroniccal Data)
जैसा कि हम जानते हैं, कंप्यूटर मानवीय भाषा में कार्य नहीं करता है। यह न तो मानवीय भाषा के डाटा रीड कर सकता है, और न ही मानवीय भाषा में गणनाएँ कर सकता है। कंप्यूटर डाटा पर गणनाएँ करने, सूचना स्टोर करने तथा आउटपुट संबंधी सभी कार्य करने के लिए एक विशेष करैक्टर कोड का प्रयोग किया जाता है। जिसका वर्णन निम्न प्रकार है।
गणना से संबंधित कार्य करने के लिए डेसिमल नंबर सिस्टम का प्रयोग करते हैं। इसका बेस 10 होता है अर्थात इसमें 10 संख्याएं (0-9) होती है। कंप्यूटर सिस्टम प्रत्येक कार्य को करने के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम का प्रयोग करता है। किसका आधार 2 होता है। इसलिए इसमें केवल दो ही संख्याएं (0,1) होती है। इन्हें बिट कहा जाता है। ऑक्टल नंबर सिस्टम में आठ (0-7) संख्याएं होती है इसका आधार 8 होता है। 3 बाइनरी बिट्स का समूह एक डिजिट को प्रदर्शित करता है। हेक्साडेसिमल नंबर सिस्टम का आधार 16 होता है, अर्थात इसमें 16 संख्याएं (0-15) होती है। एक हेक्साडेसिमल डिजिट 4 बाइनरी बिट्स के समूह के बराबर होती है।
बाइनरी कोडिंग स्कीम (Binary Coded Scheme)
बाइनरी कोडिंग स्कीम प्रत्येक कैरेक्टर को बिट्स का एक अलग क्रम प्रदान करती है। इसके लिए दो कोड (ASCII) और (EBCDIC) का उपयोग किया जाता है। हाल ही में विकसित यूनीकोड में 16 बिट्स का प्रयोग किया जाता।
कंप्यूटर में डेटा निरूपित करने के लिए ASCII कोड प्रणाली का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। इसका पूरा नाम American Standard Code for Information Interchange है। इसे 8 बिट्स कोड भी कहा जाता है।
EBCDIC का पुरा नाम Extended Binary Coded Decimal Interchange Code है। यह पुराना कोड है जो मूल रूप से IBM द्वारा विकसित किया था। यूनिकोड 16 बिट कोड का होता है जो ASCII और EBCDIC दोनों का सहायक है। इसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के लिए भी होता है।
यूनिकोड विभिन्न प्रकार की भाषा लिपियों को कंप्यूटर कोड में बदलने की एक Charcter encoding standard प्रणाली है। कंप्यूटर मूल रूप से नंबरों से संबंध रखते हैं। यह प्रत्येक अक्षर और वर्ण के लिए एक नंबर निर्धारित करके उसे कंप्यूटर में स्टोर करते हैं। यूनिकोड का आविष्कार होने से पहले ऐसे नंबर देने के लिए सैकड़ों विभिन्न संकेत प्रणालियाँ थी। किसी एक संकेत लिपि में पर्याप्त अक्षर नहीं हो सकते। इसके लिए यूनिक कोड प्रणाली विकसित की गई। यूनिकोड प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नंबर प्रदान करता है, चाहे कोई भी प्लेटफॉर्म प्रोग्राम या भाषा हो।
पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer)
किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा प्रयोग में लिए जाने वाले कंप्यूटरों को पर्सनल कंप्यूटर (माइक्रो कंप्यूटर) कहा जाता है। वे सभी कंप्यूटर जो घर ऑफिस, तथा व्यवसाय में प्रयोग किए जाते हैं सभी माइक्रो कंप्यूटर होती है। पर्सनल कंप्यूटर कई प्रकार के होते हैं। एक पर्सनल कंप्यूटर डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, आदि के रूप में हो सकता है।
सिस्टम यूनिट (System Unit)
सिस्टम यूनिट को सिस्टम कैसिस भी कहा जाता है। यह एक कंटेनर जैसा होता है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक तत्व होते है। किसी भी कंप्यूटर सिस्टम का निर्माण सिस्टम कैसिस द्वारा ही किया जाता है। सिस्टम यूनिट अलग-अलग कंप्यूटर के लिए अलग-अलग प्रकार की होती है इनका निर्माण निम्न प्रकार हैं।
डेस्कटॉप सिस्टम यूनिट
नोटबुक सिस्टम यूनिट
टैबलेट पीसी सिस्टम
यूनिट हैंडहोल्ड कंप्यूटर सिस्टम यूनिट
सिस्टम बोर्ड (System Board )
सिस्टम बोर्ड को मदरबोर्ड भी कहते हैं। जो इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स से बना होता है। यह कंप्यूटर सिस्टम का कमांड केंद्र होता है जो कंप्यूटर से जुड़े प्रत्येक कंपोनेंट और उपकरण के साथ तालमेल बनाकर निर्देशों को प्रवाहित करता है। एक मदरबोर्ड आकार और प्रकार के अनुसार कई प्रकार के हो सकते हैं लेकिन इनमें कुछ कंपोनेंट सभी मदरबोर्डों पर होते हैं।
माइक्रोप्रोसेसर (MicroProcessor)
प्रोसेसर कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है जो कंप्यूटर सिस्टम को चलाता है। इसे कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है ये है। कंप्यूटर सिस्टम की मुख्य केन्द्रीय प्रोसेसिंग यूनिट सीपीयू (CPU) होती है जो कंप्यूटर के प्रत्येक कंपोनेंट से संबंधित डेटा को प्रोसेस करता है प्रोसेसर की गति को मेगाहार्टज (Mhz) मैं मापा जाता है।
हाल ही में माइक्रोप्रोसेसर में दो महत्वपूर्ण विकास हुए हैं। इसमें 64 बिट प्रोसेसर और दूसरा मल्टी कोर प्रोसेसर चिप है। कुछ समय पहले तक 64 बिट प्रोसेसर का उपयोग केवल सुपर कंप्यूटर और मेनफ्रेम कंप्यूटर्स में ही किया जाता था। वर्तमान में 64 बिट प्रोसेसर का उपयोग अधिकांश डेस्कटॉप और लैपटॉप कंप्यूटर्स में किया जाता है। मल्टीकोर चिप प्रोसेसर का दूसरा महत्वपूर्ण विकास है। इस प्रकार के प्रोसेसर में दो या दो से अधिक स्वतंत्र सीपीयू होते हैं इसके अलावा विशेष प्रकार की प्रोसेसिंग चिप का वर्णन निम्न प्रकार हैं।
कोप्रोसेसर: कोप्रोसेसर एक विशेष प्रकार की चिप होती है जिसे विशेष कार्यों को संपन्न करने के लिए जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) के नाम से जाना जाता है। इसे मुख्यता 3डी ग्राफिक्स से संबंधित कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
स्मार्ट कार्ड: स्मार्ट कार्ड एक सामान्य कार्ड के आकार का होता है जिसपर एक विशेष प्रकार की चिप होती है इसका प्रयोग उपयोग मुख्यत: पहचान के लिए किया जाता है।
आरएफआईडी टैग्स: यह एक विशेष प्रकार की चिप होती है। जो जहाजों में लगे होते हैं जिससे उनके स्थान का पता चलता रहता है।
मेमोरी (Memory)
कंप्यूटर मेमोरी दो प्रकार (प्राइमरी और सेकन्डरी) की होती है। प्राइमरी मेमोरी चिप के रूप में इंटिग्रेटेड सर्किट द्वारा बनी हुई होती है। प्राइमरी मेमोरी निम्न प्रकार निम्न तीन प्रकार की होती है। एक रैंडम एक्सेस मेमोरी दूसरे रीड ओनली मेमोरी और तीसरी फ्लैश मेमोरी।
रैंडम एक्सेस मेमोरी को RAM के नाम से जाना जाता है। इसमें वे प्रोग्राम या डेटा स्टोर होते हैं जिन पर यूजर इस समय कार्य कर रहा होता है। यह मेमोरी डेटा को अस्थायी रूप से स्टोर करती है। इसलिए इसे बोलेटाईल मेमोरी भी कहा जाता है। यह मेमोरी सिस्टम में पाॅवर ऑन रहने तक ही सूचनाओं को स्टोर करके रख सकती है। कैश मेमोरी रैंडम एक्सेस मेमोरी और सीपीयू के माध्यम से होल्डिंग एरिया के रूप में कार्य करती है। कंप्यूटर पर कार्य करते समय जिस सूचना का अधिक प्रयोग किया जाता है उसे कैश में कॉपी कर लिया जाता है आवश्यकता होने पर सीपीयू कैश सूचना को तुरंत प्राप्त कर लेता है।
सीडी या डीवीडी-रॉम ड्राईव (CD-ROM/DVD-ROM Drive)
सीडी रॉम एक ड्राईव होता है जिसका प्रयोग कॉम्पैक्ट डिस्क के डेटा को पढ़ने के लिए किया जाता है। कॉम्पैक्ट डिस्क एक डिस्क होती हैं जिसमें डेटा स्टोर किया जाता है। यह डेटा टैक्सट, ग्राफिक्स, ऑडियो या वीडियो के रूप में होता है हो सकता है। सीडी-रॉम ड्राइव के स्थान पर आप Combo Drive, DVDV ROM, DVD Writer का प्रयोग कर सकते हैं।
हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive-HDD)
हार्ड डिस्क भी एक स्टोरेज डिवाइस है। इसे विन्चेस्टर डिस्क भी कहा जाता है। विन्चेस्टर डिस्क में भी प्लेटे लगी हुई होती हैं। जिनको एक केंद्रीय सॉफ्ट दुबारा घुमाया जाता है। हार्ड डिस्क प्लेट्स तथा डिस्क ड्राइव एक वायुरोधी डिब्बे में रखी होई होती है।
Monitor मॉनिटर
मॉनिटर को विज़ुअल डिस्प्ले यूनिट कहा जाता है जिसे एक केबल द्वारा मुख्य मशीन से जोड़ा जाता है। मॉनिटर स्क्रीन पर सूचनाओं को मेट्रिक्स के रूप में प्रदर्शित करता है। मॉनिटर स्क्रीन में 24 लाइनें तथा 80 कॉलम होते हैं। इसकी स्क्रीन पर फॉस्फोरस का लेप किया जाता है। एक दूसरा एल.सी.डी मॉनिटर होता है। एल.सी.डी (Liquid Crystal Display) मॉनीटर स्क्रीन में लिक्विड पदार्थ भरा होता है। इसका प्रयोग साधारण डेस्कटॉप कंप्यूटर में किया जाता है।
विधुत आपूर्ति (Power Supply)
पॉवर सप्लाइ एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड होता है जो कंप्यूटर और उसके कोम्पोनेट्स को विधुत प्रदान करता है। यह प्राप्त होने वाली 220 बोल्ट को AC को DC में परिवर्तित करता है। यह अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स को आवश्यकता अनुसार अलग-अलग वोल्ट में विधुत प्रदान करता है।
साउंड एडेप्टर और स्पीकर (Sound Adapter and Speakers)
साउंड एडेप्टर और स्पीकर का प्रयोग ऑडियो-वीडियो को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। आज के पर्सनल कंप्यूटर सिस्टम में साउंड मदरबोर्ड पर चिप के रूप में पहले से ही लगा होता है।
नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड (Network Interface Card-NIC)
नेटवर्क इंटरफेस कार्ड एक हार्डवेयर कम्पोनेन्ट होता है जो कंप्यूटर तथा नेटवर्क के मध्य इंटरफेस का कार्य करता है। इसे कंप्यूटर के मदरबोर्ड पर लगाया जाता है। नेटवर्क से आने वाली केबल इसी कार्ड में डाली जाती है। यह नेटवर्क को फिजिकल एड्रेस प्रदान करता है।
कम्यूनिकेशन पोर्ट (Communication Port)
कम्यूनिकेशन पोर्ट का प्रयोग कंप्यूटर के साथ बाहरी उपकरणों को जोड़ने के लिए किया जाता है जैसे- प्रिंटर, मॉडेम, स्कैनर, स्पीकर, पेन ड्राइव आदि कम्यूनिकेशन पोर्ट कई प्रकार की होती है। अलग-अलग प्रकार की पोर्ट का अलग-अलग प्रकार उपकरणों के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए Serial Port का प्रयोग सामान्यतः मॉडेम, प्रिंटर आदि के लिए किया जाता है। जबकि Parallel Port का प्रयोग सामान्यतः प्रिंटर आदि के लिए किया जाता है USB Port एक बहुद्देशीय पोर्ट होती है।
कंप्यूटर पैनल (Computer Panal)
पर्सनल कंप्यूटर कई प्रकार के लेआउट में होते हैं। इसलिए कंप्यूटर पैनल भी कंप्यूटर के अनुसार अलग-अलग होते हैं। यह केवल डेस्कटॉप कंप्यूटर पैनल के बारे में बताया गया है। डेस्कटॉप कंप्यूटर पैनल को दो भागों में विभाजित किया गया है । एक Front Panal और दूसरा Rear Panal होता है।
सामने के पैनल कम्पोनेंट्स (Components of Front Panal)
यह कंप्यूटर सिस्टम केस के सामने के पैनल में कई प्रकार के कंपोनेंट होते हैं। इसका बड़ा निम्न प्रकार हैं।
Power Switch: यह कंप्यूटर सिस्टम में पॉवर बटन होता है। इसका प्रयोग सिस्टम कंप्यूटर की पॉवर (विधुत) को ऑन और ऑफ करने के लिए किया जाता है।
Reset Botton: यह कंप्यूटर सिस्टम का रीसेट बटन होता है। इसका प्रयोग करके आप कंप्यूटर सिस्टम को बन्द किए बिना उसे रिस्टार्ट कर सकते हैं। जब कंप्यूटर हैंग होकर कार्य करना बन्द कर देता है और किसी भी प्रकार की कमांड को स्वीकार नहीं करता तो आप इस बटन का प्रयोग करके उसे फिर से शुरू कर सकते हैं।
Power LED: यह सामान्यतः हरे रंग की एक छोटी सी लाइट होती है। जब कंप्यूटर को ऑन किया जाता है या वह ऑन अवस्था में रहता है तो यह लाइट जलती रहती है।
Hard Disk LED: यह सामान्यतः लाल रंग की होती है छोटी सी लाइट होती है। यह कंप्यूटर द्वारा हार्ड डिस्क को ऐक्सेस किया जाता है तो यह लाइट जलती है। यह समय-समय पर ऑन और ऑफ होती रहती है। जैसे-जैसे हार्ड डिस्क सक्रिय रहती है वैसे-वैसे यह लाइट जलती रहती हैं।
USB Port: यह (Universal Serial Bus) पोर्ट होती है। इसका प्रयोग USB से संबंधित सभी प्रकार के उपकरणों के लिए किया जाता है। यह पोर्ट पहले के कंप्यूटरों में सामने के पैनल में नहीं होती थी।
HeadphoneMic Port: यह एक ऑडियो पोर्ट है होती है। इसका प्रयोग सामान्यतः हेडफोन या माइक के लिए किया जाता है अतिरिक्त स्पीकर के लिए भी पोर्ट का प्रयोग कर सकते हैं।
CD-ROM Drive: कंप्यूटर सिस्टम का ऊपरी भाग होता है। इसमें आप CD-ROM या DVD ROM Drive लगा सकते है। कंप्यूटर सिस्टम में आप एक से अधिक सी डोम लगा सकते है।
पीछे के पैनल कंपोनेंट (Compoents of Back Panal)
कंप्यूटर सिस्टम केस में पीछे के पैनल में कई प्रकार के कंपोनेंट होते हैं। इसका वर्णन निम्न है।
Power Socket: यह कंप्यूटर सिस्टम की पॉवर सॉकेट होती है। इसके द्वारा कंप्यूटर सिस्टम में विधुत पहुंचाई जाती है। इसे 3 पिन वाली एक केबल द्वारा बिजली से जोड़ा जाता है।
PS/2 Port: यह कंप्यूटर की सिस्टम PS/2 पोर्ट होती है। इसका प्रयोग कीबोर्ड और माउस को कंप्यूटर सिस्टम से जोड़ने के लिए किया जाता है। यह पोर्ट दो अलग-अलग रंग की होती है। इसमें हरे रंग की पोर्ट का प्रयोग माउस के लिए और बैगनी रंग की पोर्ट का प्रयोग कीबोर्ड के लिए किया जाता है।
Serial Port: यह कंप्यूटर की सीरियल पोर्ट होती है। इसका प्रयोग सामान्यता: मोडम, प्रिंटर, पेन ड्राइव आदि के लिए किया जाता है।
VGA Port: यह कंप्यूटर की 15 की VGA पोर्ट होती है। इसका प्रयोग मॉनिटर को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है।
USB Port: यह है कंप्यूटर की USB (Universal Serial Bus) पोर्ट होती है। इसका प्रयोग कई प्रकार के बाहरी ही (प्रिंटर, स्कैनर, माउस, कीबोर्ड, पेन ड्राइव आदि) को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है। सीरियल तथा परलेल पोर्ट की तुलना में USB पोर्ट की गति अधिक होती है। एक मदरबोर्ड में सामान्यतः दो या दो से आधे USB पोर्ट हो सकती है।
Audio Jackc: यह कंप्यूटर की ऑडियो पोर्ट होती है। इसका प्रयोग ऑडियो स्पीकर या माइक्रोफोन के लिए किया जाता है। कुछ कंप्यूटरों में है मदरबोर्ड पर ही होती है लेकिन आप इसे अतिरिक्त कार्ड के रूप में भी लगा सकते हैं।
Ethernet Port: यह कंप्यूटर के लिए नेटवर्क होती पोर्ट है। इसका प्रयोग कंप्यूटर को नेटवर्क से जोड़ने के लिए किया जाता है। इसमें RJ Ethernet केबल और RJ Connector का प्रयोग किया जाता है।
Modem: यह कंप्यूटर में मॉडम पोर्ट होती हैं। मॉडम का प्रयोग कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए किया जाता है। मॉडेम का कार्य ऐनलॉग डेटा को डिजिटल डेटा में और डिजिटल डेटा को ऐनालॉग डेटा में बदलना होता है। यदि आप अपने कंप्यूटर पर इंटरनेट एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए मॉडेम आवश्यकता होगी।
कंप्यूटर मेमोरी की मापन इकाइयां (Units of Computer Memoy)
कंप्यूटर डेसिमल नंबर को नहीं समझताहै। यह जिन नंबरों को समझता है उन्हें बाइनरी नंबर कहा जाता है। बाइनरी नंबर में केवल दो ही संख्याएं होती है। बाइनरी डिजिट को बिट कहा जाता है तथा कंप्यूटर मेमोरी को भी बिट में मापा जाता है। इसका वर्णन निम्न प्रकार हैं।
0.1 = Bit
8 Bit = 1 Byte
1024 Byte = 1 Kilobyte
1024 KB = 1 Megabyte
1024 MB = 1 Gigabyte
1024 GB = 1 Terabyte
1024 TB = 1 Petabyte
1024 PB = 1 Exabyte
1024 EB = 1 Zettabyte
1024 ZB = 1 Yottabyte
1024 YB = 1 Brontobyte
1024 Brontobyte = 1 Geopbyte
कंप्यूटर सिस्टम की वह एक है जो सूचनाओं को स्थायी या अस्थायी रूप से संचित करने के लिए कार्य करें उन्हें मेमोरी उपकरण कहते हैं। कंप्यूटर मेमोरी को निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है-
(1) प्राइमरी मेमोरी (Primary Memory)
इस प्रकार की मेमोरी को मेन मेमोरी, प्राइमरी मेमोरी, प्राथमिक या आंतरिक मेमोरी कहा जाता है। यह मेमोरी चिप के रूप में इंटीग्रेटेड सर्किट द्वारा बनी हुई होती है, तथा मदरबोर्ड पर स्लॉट्स में लगाई जाती है। प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार की होती है। एक रैम (RAM) और दूसरी रोम (ROM)
Random Access Memory: रैंडम एक्सेस मेमोरी को प्राइमरी मेमोरी, मेन मेमोरी तथा वोलेटाइल मेमोरी के नाम से जाना जाता है। यह मेमोरी अस्थाई रूप से डेटा स्टोर करती है। इसी कारण इसे वोलेटाइल मेमोरी कहा जाता है।
Read Only Memory: रीड ऑनली मेमोरी में एक बार डेटा स्टोर करने के बाद, उसको बार-बार रीड किया जा सकता है उसमें डेटा को फिर से स्टोर नहीं किया जा सकता। ROM भी इसी श्रेणी की मेमोरी में आती है। ROM में डेटा का निर्देश लिखने की क्रिया को बर्निंग कहा जाता है।
(2) सहायक मेमोरी Secondary Memory
कंप्यूटर सिस्टम में सूचना को स्थायी रूप से स्टोर करने के लिए सेकेंडरी मेमोरी का प्रयोग किया जाता है। यह मेमोरी नॉन-वोलेटाइल होती हैं, अर्थात सिस्टम में पाॅवर ऑफ हो जाने पर इसमें संचित सूचना पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तथा आवश्यकता होने पर इसका प्रयोग काभी भी किया जा सकता है। Magnetic Tape, Hard Disk, Floppy Disk, Compact Disk सेकेंडरी मेमोरी के मुख्य उदाहरण है। सहायक मेमोरी को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।
सिक्वेंशीयल एक्सेस डिवाइस
डायरेक्ट एक्सेस डिवाइस
सिक्वेंशियल एक्सेस डिवाइस व डिवाइस होती है, जिसमें से सूचना को उसी ऑर्डर में प्राप्त किया जाता है जिस ऑर्डर मैं उसको लिखा गया है। चुंबकीय टेप इसका मुख्य उदाहरण है।
डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज डिवाइस या रैंडम एक्सेस डिवाइस वे होती है जिसमें स्टोरेज स्थान को सीधे बढ़ा जा सकता है। अर्थात किसी भी मेमोरी स्थान को पढ़ने में एक स्थान समय लगता है। अर्थात किसी भी मिमोरी स्थान को पड़ने में एक समान समय लगता है। सीडी या चुंबकीय इसका मुख्य उदाहरण है।
Magnetic Disk
चुंबकीय डिस्क महत्वपूर्ण डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज युक्ति है। चुंबकीय डिस्क धातु या प्लास्टिक की बनी हुई एक गोलाकार प्लेट होती है इसकी दोनों सतहों पर चुम्बकीय पदार्थ Iron-oxide) का लेप किया हुआ होता है। चुम्बकीय पदार्थ की सतह पर डेटा 0, 1 के रूप में रिकॉर्ड किये किये जाते हैं।
Floppy Disk फ्लॉपी डिस्क: सन् 1972-1973 में आईबीएम कंपनी द्वारा बनाई गई एक स्टोरेज डिवाइस है। यह प्लास्टिक की बनी एक गोलाकार पतली प्लेट है, जिस पर चुम्बकीय पदार्थ कर लेप किया हुआ होता है। फ्लॉपी डिस्क 5.25 इंच तथा 3.5 इंच व्यास में उपलब्ध होती थी। यह अब चलन में नहीं है।
Hard Disk हार्ड डिस्क: हार्ड डिस्क भी आईबीएम (IBM) कंपनी द्वारा बनाई गई एक स्टोरेज डिवाइस है। इसे वैनचेस्टर डिस्क भी कहा जाता है। वैनचेस्टर डिस्क में भी प्लेट लगी हुई होती है इन जिनको एक केंद्रीय सॉफ्ट द्वारा घुमाया जाता है। हार्ड डिस्क के परिक्रमण की गति 3600-7200 RPM होती है।
ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disk)
ऑप्टिकल डिस्क में डेटा Read/Write करने के लिए लेज़र बीम तकनीक का प्रयोग किया जाता है। लेज़र तकनीक प्रयोग होने के कारण इसे लेज़र डिस्क या ऑप्टिकल डिस्क ऑप्टिकल लेज़र डिस्क के नाम से जाना जाता है। एक 5.25 इंच ब्याज के ऑप्टिकल डिस्क में 750 MB डेटा स्टोर किया जा सकता है। ऑप्टिकल डिस्क को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
CD-ROM
WORM
Erasable Optical Disk
CD-ROM: कॉम्पैक्ट डिस्क रीड ऑनली (CD-ROM) एक रीड ऑनली मेमोरी डिस्क होती है। इस डिस्क में सूचनाओं को निर्माताओं द्वारा ही संचित किया जाता है।
Worm: इसका पूरा नाम राइट वन्स रीड मैनी (Write Once Read Many) है। इस प्रकार की डिस्क खाली उपलब्ध होती हैं तथा आवश्यकतानुसार इसमें एक ही बार डेटा लिखा जा सकता है।
Erasable Optical Disk: इस प्रकार की डिस्क को बार-बार राइट तथा रीड किया जा सकता है। इस प्रकार की डिस्क एक चुम्बकीय पदार्थ का लेप किया होता है।
DVD: डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क देखने में तो कॉम्पैक्ट डिस्क के सामन ही होती है लेकिन इसकी मेमोरी क्षमता कॉम्पैक्ट डिस्क से काफी अधिक होती है। अर्थात डीवीडी कॉम्पैक्ट डिस्क का नवीनतम रूप है। डीवीडी की स्टोरेज क्षमता फाइव पॉइंट 4.7 जीबी से लेकर 17 जीबी तक होती है। कॉम्पैक्ट डिस्क के सामान डीवीडी भी तीन प्रकार की होती है रेड ऑनली, राइट वन्स रीड मैनी और रीराइटेबल।
(3) अन्य स्टोरेज उपकरण (Other Storage Devices)
डेटा को स्टोर करने के लिए कई प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। इसमें आधुनिक उपकरण भी शामिल है। आधुनिक स्टोरेज उपकरणों का वर्णन निम्न प्रकार हैं।
हाई डेफिनेशन डिस्क हाई डेफिनेशन डिस्क सीडी तथा डीवीडी से ज्यादा डेटा स्टोर करने वाली ऑप्टिकल डिस्क है। ब्लू रे डिस्क डीवी (BD) वर्तमान हाई डेफमानक है। यह नाम नीले रंग की एक रेजर से लिया गया है। जिसका उपयोग डिस्क की रीडिंग के लिए किया जाता है। ब्लू रे डिस्क की क्षमता 25 से 50 गीगाबाइट होती है। जो एक स्टैंडर्ड सिंगल-लेयर डीवीडी की क्षमता से 10 गुना से अधिक होती है। हालांकि ब्लू रे मीडिया का आकार अन्य ऑप्टिकल मीडिया जितना ही होता है। इस डिस्क में विशेष ड्राइव्स की जरुरत होती है उनमें से अधिकांश ड्राइव ब्लू रे के अलावा स्टैंडर्ड डीवीडी तथा सीडी की रीडिंग कर सकती है।
फ्लैश मेमोरी फ्लैश मेमोरी का उपयोग भी डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। फ्लैश मेमोरी कार्ड का उपयोग मोबाइल फ़ोन, डिजिटल कैमरे, जीपीएस सिस्टम आदि में सर्वाधिक किया जाता है।
यूएसबी ड्राइव यूएसबी ड्राइव का उपयोग भी डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। डेटा को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में स्थानांतरित करने के लिए यूएसबी ड्राइव सबसे लोकप्रिय स्टोरेज उपकरण है। यूएसबी ड्राइव की क्षमता 1 GB से लेकर 1 TB तक होती है।
इनपुट उपकरण आउटपुट उपकरण (Input and Output Device)
इनपुट उपकरण वे उपकरण होते हैं जिनका प्रयोग कंप्यूटर को डेटा या निर्देश देने के लिए किया जाता है। डेटा को कंप्यूटर में इनपुट करने के लिए कई प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। इनपुट उपकरणों को नीचे दिए गए डायग्राम द्वारा समझा गया है।
टेक्स्ट इनपुट उपकरण (Text Input Device)
टेक्सट इनपुट उपकरण वे उपकरण होते हैं जिनका प्रयोग कंप्यूटर में टैक्सट इनपुट करने के लिए किया जाता है। टैक्सट इनपुट उपकरणों का मुख्य उदाहरण कीबोर्ड हैं। कीबोर्ड का प्रयोग टैक्सट एंटर करने तथा कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए किया जाता है।
कीबोर्ड (Keyboard)
कीबोर्ड (Keyboard): की सबसे ऊपरी पंक्ति में स्थित कुंजियों को फ़ंक्शन कुंजी कहा जाता है इन पर F1, F2,………F12 वर्ण अंकित होते हैं। इसके अलावा कंट्रोल कुंजियों का प्रयोग कंप्यूटर संचालन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। ये कुंजियाँ Enter,Key Shift Key, Caps Lock, Ctrl Key, Alt Key आदि होती है।
कीबोर्ड के दाएँ भाग में कर्सर कंट्रोल कुंजियां होती है। इन कुंजियों का प्रयोग कर्सर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है। इसमें Arrow Keys, Page UP/Page Down, Home/End आदि को शामिल किया जाता है। एरो कुंजियों को नेवीगेशन कुँजियों भी कहा जाता है। इसके अलावा कीबोर्ड के दाएँ भाग में न्यूमेरिक कुंजियाँ भी होती है। इनका प्रयोग इनका उपयोग नंबर टाइप करने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड के डिज़ाइनों में अत्यधिक विभिन्नतांए होती है। वे आकार में छोटे-बड़े और ढ़ से लेकर लचीले होते हैं।
पॉइंटिंग उपकरण (Poingting Device)
पॉइंटिंग उपकरण वे उपकरण होते हैं जिनका प्रयोग कर सर कन्ट्रोलिंग के लिए किया जाता है। पॉइंटिंग उपकरण का प्रयोग करके कर्सर को स्क्रीन के किसी भी भाग पर जा सकते हैं और किसी भी कमांड का उपयोग कर सकते हैं। माउस, जॉयस्टिक, टच स्क्रीन, लाइट पेन आदि पॉइंटिंग उपकरण है।
माउस (Mouse): कर्सर कंट्रोलिंग तथा पॉइंटिंग उपकरण है, अर्थात माउस द्वारा कंप्यूटर स्क्रीन पर कंट्रोल को नियंत्रित किया जाता है तथा विशेष स्थान पर पॉइंट किया जा सकता है।
Optical Mouse: इसमें माउस की गति को पहचानने के लिए प्रकाश (लेज़र बीम) का प्रयोग किया जाता ऑप्टिकल माउस का उपयोग लगभग हर सतह पर किया जा सकता है।
Mechanical Mouse: मेकनिकल माउस की ऊपरी सतह पर दो या तीन बटन बने हुए होते हैं वह निचली सतह पर एक छोटी सी बॉल लगी हुई होती है। जब माउस को समतल सतह पर घुमाया जाता है तो एक पॉइंट (कर्सर) मॉनिटर स्क्रीन पर घूमता है।
Wireless Mouse: माउस ऐसे कोडलेस माउस भी कहते हैं। सिस्टम यूनिट के साथ संचार करने के लिए रेडियो तरंगों का तरंगों या इन्फ्रारेड तरंगों का उपयोग किया जाता है।
ट्रैकबॉल, टच पैड और पॉन्टिंग स्टिक भी माउस के समान पॉइंटिंग उपकरण है। पॉइंटर को नियंत्रित करने के लिए आप अंगूठे की सहायता से बॉल को घुमाकर ट्रैकबॉल (जिसे रोलर बॉल भी कहा जाता है) का प्रयोग कर सकते हैं टच पैड का उपयोग सामान्यत: लैपटॉप कंप्यूटरो में किया जाता है।
Touch Screen: टच स्क्रीन एक विशेष प्रकार से तैयार की गई मॉनीटर स्क्रीन होती है टच स्क्रीन में अतिसूक्ष्म माइक्रोवेव किरणों का जाल बना हुआ होता है इसमें इनपुट की जाने वाली सूचना आइकन के रूप में स्क्रीन पर प्रदर्शित की जाती है।
Joystick: जोस्टिक भी कर्सर कन्ट्रोलिंग उपकरण है, इसका प्रयोग स्क्रीन पर कर्सर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग सामान्यतः कंप्यूटर गेम खेलने के लिए किया जाता है।
Light Pen: लाइट पेन पॉइंटिंग डिवाइस होती है, इसका प्रयोग मेन्यू ऑप्शन को चुनकर निर्देश देने तथा ड्रॉइंग सॉफ्टवेयर में ग्राफिक्स बनाने के लिए किया जाता है।
स्कैनिंग उपकरण (Scaning Device)
स्कैनिंग उपकरण वे उपकरण होते हैं जिनका प्रयोग डेटा को स्कैन करने के लिए किया जाता है इसमें। स्कैनिंग उपकरण को टेक्स्ट या इमेज पर घुमाया जाता है। जिससे डेटा प्रोसेसर होकर सिस्टम में स्टोर हो जाता है।
Optical Scanner: स्कैनर को ही ऑप्टिकल स्कैनर कहते हैं। इसका प्रयोग इमेज या हस्तलिखित टेक्स्ट को स्टोर करने के लिए किया जाता है।
Card Reader: कार्ड रीडर का उपयोग क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड का डेटा को ऐक्सेस करने के लिए किया जाता है।
Bar Code Reader: इन दोनों इस उपकरण का उपयोग काफी बढ़ता जा रहा है। इस उपकरण का प्रयोग पूर्व प्रिंटेड बार कोड को पढ़ने के लिए किया जाता है।
Character & Symbol Identification Device: कैरेक्टर और चिन्हों को पहचानने वाले उपकरण ऐसे स्कैनर होते हैं जो विशेष प्रकार के कैरेक्टर्स और चिन्हों को पहचानने में सक्षम होते हैं। इस प्रकार के उपकरण विशेष ऐप्लिकेशनों के द्वारा ही कार्य करते हैं। कैरेक्टर और चिन्ह पहचानने वाले उपकरण निम्न तीन प्रकार के होते हैं।
Magnetic Ink Character Recognition (MICR): MICR का प्रयोग विशेष फॉर्मेट तथा विशेष स्याही से लिखे हुए अक्षरों को पढ़ने के लिए किया जाता है। इसमें अक्षरों को विशेष फ़ॉन्ट में तथा चुम्बकीयचुबकिय स्याही से लिखा जाता है।
Optical Character Recognition (OCR): यह उपकरण हाथ में पकड़े जाने वाला है वैंड रीडर होता है। इसका उपयोग मुख्यतः डिपार्टमेंटल स्टोरों में खुदरा कीमत टैगों को पढ़ने के लिए किया जाता है।
Optical Mark Reconition(OMR): ओएमआर उपकरण का उपयोग मुख्यत: है बहु-विकल्प परीक्षणों की जांच के लिए किया जाता है। यह पेंसिल के चिन्हों से उपस्थित और अनुपस्थित दर्ज कर देता है।
इमेज कैप्चरिंग उपकरण (Image Capturing Device)
इमेज कैप्चरिंग उपकरण स्कैनिंग उपकरणों से भिन्न होते हैं। स्कैनिंग उपकरण मुख्यतः फोटोकॉपी मशीन के समान होते हैं। इमेज कैपचरिंग के लिए डिजिटल कैमरे, डिजिटल वीडियो कैमरे, वेब कैमरा का उपयोग किया जाता है।
ऑडियो इनपुट उपकरण (Audio Input Device)
माइक्रोफोन सबसे प्रचलित ध्वनि इनपुट उपकरण होता है, जो ध्वनि को डिजिटल फॉर्म में स्टोर कर सकते हैं। वाॅइस रिकग्निशन सिस्टम भी ऑडियो इनपुट उपकरण है।
आउटपुट उपकरण (Output Device)
आउटपुट उपकरण वे उपकरण होते हैं जो प्रोसेसिंग के बाद परिणाम को प्रदर्शित करते हैं। आउटपुट उपकरण तीन प्रकार के होते हैं। एक सॉफ्ट कॉपी, दूसरा हार्ड कॉपी तीसरा ऑडियो-आउटपुट उपकरण।
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट उपकरण (Soft Copy Output Device)
इस श्रेणी में वे निर्गम उपकरण आते हैं जिसमें पाॅवर बंद हो जाने पर सूचना समाप्त हो जाती है। इनमें सूचना तब तक दिखाई देती है, जब तक पाॅवर ऑन हैं। इस श्रेणी का मुख्य उपयोग मॉनिटर अर्थात विज़ुअल डिस्प्ले यूनिट है।
हार्डकॉपी आउटपुट हार्ड कॉपी उपकरण (Hard Copy Output Device)
हार्ड कॉपी उपकरण वे उपकरण होते हैं, जो हमें स्थायी आउटपुट प्रदान करते हैं। अर्थात इस प्रकार के आउटपुट को एक बार प्राप्त करने के बाद यदि पाॅवर बंद हो जाती है तो भी उसका प्रयोग कर सकते हैं। इस प्रकार के उपकरण में प्रिंटर व प्लोटर आदि को रखा जाता है।
Dot Matrix Printer: डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर द्वारा प्रत्येक अक्षर को डॉट के रूप प्रिंट किया जाता है। इस कारण से इसे डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर कहा जाता है।
Inkjet Printer: इंकजेट प्रिंटर करेक्टर प्रिंटर या तथा नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर होता है। इसके हेड में एक जेट लगा हुआ होता है नीचे की तरफ छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। जेट में स्याही भरी होती है। यह प्रिंट होने होने वाले अक्षर को कागज पर स्याही की बूंद के रूप में स्प्रे कर प्रिंट करता है।
Drum Printer: ड्रम प्रिंटर में हैड, गोलाकार ड्रम के रूप में होता है जिस पर पूर्व परिभाषित अक्षर छपे हुए होते हैं। गोलाकार ड्रम अपने निश्चित स्थान पर घूमता रहता है।
Laser Printer: लेज़र प्रिंटर फोटो कॉपी मशीन के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसमें लेज़र बीम द्वारा फोटो को डिटेक्ट किया जाता है। डिटेक्ट की गई फोटो ड्रम के स्थान ड्रम के संपर्क में आती है। ड्रम पेपर के साथ घूमता है जिससे इंक पेपर पर अंकित होती है।
Plotter: प्लोटर में प्रिंट करने के लिए इंकपेन या इंकजेट का प्रयोग किया जाता है। पेन या जेट को मोटर द्वारा चलाया जाता है। पेन X व Y डायरेक्शन में घूमता हैं।प्लोटर का प्रयोग अच्छी क्वालिटी की प्रिन्टिंग करने के लिए किया जाता है इसमें मुख्यत: लेखाचित्र, ग्राफ, चार्ट आदि को प्रिंट करते हैं।
ऑडियो आउटपुट उपकरण (Audio Output Device)
ऑडियो आउटपुट उपकरण वे उपकरण होते हैं जो डेटा को दो ध्वनियों में परिवर्तित कर आउटपुट के रूप में प्रदर्शित करते हैं। स्पीकर और हेडफोन ऑडियो आउटपुट के मुख्य उदाहरण है।
सॉफ्टवेयर (Software)
एक या एक से अधिक प्रोग्राम्स तथा निर्देशों का ऐसा समूह जिसका प्रयोग कंप्यूटर सिस्टम को ऑपरेट करने या किसी विशेष कार्य को करने के लिए किया जाता है, सॉफ्टवेयर कहलाता है।
दूसरे शब्दों में कंप्यूटर में प्रयोग में लिए जाने वाले सभी प्रोग्राम, भाषाएं, भाषा अनुवादक और कोई अन्य ऐप्लिकेशन आदि सॉफ्टवेयर के नाम से ही जाने जाते हैं। कंप्यूटर का निर्माण हार्डवेयर डिवाइस से होता है। इन डिवाइसों/यंत्रों को चलाने के लिए सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इनके द्वारा विशेष कार्य करने के लिए भी सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। अतः कंप्यूटर पर कार्य करने के लिए हार्ड्वेर तथा सॉफ्टवेयर दोनों का ही ताल मेल होने जरुरी होता है। एक सॉफ्टवेर निम्न प्रकार का हो सकता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
सिस्टम सॉफ्टवेयर एक से अधिक प्रोग्रामों का ऐसा समूह है जिसका प्रयोग कंप्यूटर को चलाने और उसे ऑपरेट करने के लिए किया जाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर कई प्रकार के होते हैं। जैसे- ऑपरेटिंग सिस्टम, यूटिलिटीज, डिवाइस ड्राइवर कंपाइलर, एसेम्बलर आदि। सिस्टम सॉफ्टवेयर निन्न प्रकार के कार्य करता है।
कंप्यूटर को चलाना और उसे ऑपरेट करना।
ऐप्लिकेशन प्रोग्रामों को चलाने के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करना।
विभिन्न हार्डवेयर संसाधनों का प्रयोग करना।
विभिन्न प्रकार के उपकरणों के मध्य लिंक स्थापित करना।
विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम तैयार करना।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)
ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर उपकरणों और ऐप्लिकेशन प्रोग्राम को चलाने के लिए एक प्लैटफॉर्म तैयार करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम को यूज़र इंटरफेस के आधार पर कई भागों में विभाजित किया जा सकता है। यूज़र इंटरफेस के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्गीकरण निम्न प्रकार हैं।
विंडोस (Windows)
विंडोज विभिन्न वर्जनों की विविधता में आते हैं। इसका सबसे नया संस्करण विण्डोज़ 11 है। महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न प्रकार हैं।
Windows NT Workstation
Windows 98
Windows 2000 Professional
Windows ME
Windows XP
Windows Vista
Windows 7
Windows 8, 8.1
Windows 11
मैक ओएस (Mac OS)
ऐप्पल ने 1984 में इसका मैकिनटोश माइक्रोकंप्यूटर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम पेश किया था। यह नोविस कंप्यूटर यूजर्स के लिए भी फ़ाइलों को मूव तथा डिलीट करने को आसान बनाने के लिए पहले गुईज में से एक को उपलब्ध कराता है।
यूनिक्स और लाइनेक्स (Unix and Linex)
यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम मूल रूप से नेटवर्क एनवायरमेन्ट्स में मिनी कंप्यूटर पर चलाने के लिए डिजाइन किए जाते थे। अब ये पावरफुल कंप्यूटर तथा वेब पर सर्वर के द्वारा भी प्रयोग किए जाते हैं। लाइनेक्स एक मल्टी यूज़र मल्टीटास्किंग तथा ग्राफ़िकल यूज़र इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम हैलिनन, जिसे 1991 में लाइन्स बेनेडिक्ट टोरवेल्डस ने विकसित किया था। यह यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का ही विकसित रूप है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम जनरल पब्लिक लाइसेंस द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है।
यूटिलिटी (Utilities)
यूटिलिटीज को सर्वेस या सहायक प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है कंप्यूटर संसाधनों के प्रबंधन का कार्य करते हैं। यूटिलिटीज प्रोग्राम कंप्यूटिंग को आसान बनाने के लिए निर्मित किये जाते हैं। इसमें से कुछ मुख्य यूटिलिटीज प्रोग्राम्स निम्न है।
ट्रबलशूटिंग तथा डायग्नोस्टिक प्रोग्राम्स : यह प्रोग्राम समस्याओं को पहचानने और उसे सही करने के लिए होता है।
एंटीवायरस प्रोग्राम : इस प्रकार के प्रोग्राम वायरसों या अन्य क्षतिपूर्ति प्रोग्राम जो आपके कंप्यूटर सिस्टम में प्रवेश कर सकते हैं, उनसे आपके कंप्यूटर सिस्टम की रक्षा करता है।
अनइन्सटॉल प्रोग्राम : इस प्रकार के प्रोग्राम हार्ड डिस्क से आवांछित प्रोग्राम तथा संबंधित फ़ाइलों को सुरक्षित रूप से पूर्णतः मिटाने की अनुमति देते हैं।
बैकअप प्रोग्राम्स : ये प्रोग्राम मूल फाइल खो जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने पर उन फ़ाइलों की कॉपीज बनाने के लिए प्रयोग में लिए जाते हैं।
फाइल कंप्रेशन : फाइल कंप्रेशन प्रोग्राम्स जो फ़ाइलों के आकार को कम करने कम करते हैं। जिससे उनको स्टोर करने के लिए कम जगह की आवश्यकता हो तथा इंटरनेट पर अधिक कुशलता से भेजे जा सकते हैं। अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम यूटिलिटीज़ प्रोग्राम्स उपलब्ध कराते हैं।
डिस्क क्लीनअप यूटिलिटीज : हार्ड डिस्क में कई प्रकार की अस्थायी फ़ाइलें होती है जो अनावश्यक डिस्क स्पेश को रोकती है। आदि हमारे कंप्यूटर में लगी हार्ड डिस्क कम क्षमता की है तथा बार-बार कम स्पेश को दर्शाती है तो हमें डिस्क क्लीनअप द्वारा इन अस्थाई फ़ाइलों को हटा देना चाहिए। इससे आपकी डिस्क पर अतिरिक्त स्पेश बन जाएगा।
डिस्क डिफ़्रग्मेन्टेशन यूटिलिटीज : यह एक डिस्क यूटिलिटी टूल्स होता है जो अवांछित फ्रै फ़्रैगमेन्ट्स का पता लगाकर उन्हें डिलीट करता है तथा फ़ाइलों को दोबारा व्यवस्थित करता है।
स्कैनडिस्क यूटिलिटीज : स्कैनडिस्क एक कंप्यूटर यूटिलिटी टूल्स होता है जो कि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में पहले से उपलब्ध होता है। यह एक डायय डायग्नोस्टिक और रिपेयर प्रोग्राम है जिसका प्रयोग डिस्क पर रखे डेटा को स्कैन करने के लिए किया जाता है। यह फाइल और डायरेक्टरी स्ट्रक्चर के डेटा को स्कैन करता है और इसमें समस्या आने पर रिपेयर भी करता है।
कम्प्रेशन यूटिलिटीज : डेटा को कंप्रेशन करना डिस्क की क्षमता को बढ़ाने के समान है कंप्रेशन यूटिलिटीज सॉफ्टवेयर किसी भी डेटा को डिस्क में भेजने से पहले उसे कंप्रेस कर देते हैं। इसमें सभी फ़ाइलों के डेटाओं को कंप्रेस करके एक फाइल के रूप में स्टोर किया जाता है। डेटा को कंप्रेशन करने के लिए कई प्रकार के सॉफ्टवेयरों का प्रयोग किया जाता है। इसमें मुख्य कंप्रेशन सॉफ्टवेर WinZip, PKZip, WinRAR, 7Zip आदि है।
बैकअप और रिस्टोर ऑपरेशन (Backup and Restore Operation)
यदि आपका अधिकांश समय कंप्यूटर पर बीतता है या आप अपने कंप्यूटर का प्रयोग व्यक्तिगत या व्यावसायिक कार्यों के लिए करते हैं तो डेटा का बैकअप लेना आवश्यक है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो कंप्यूटर सिस्टम के खराब होने पर आपका डेटा भी खराब व डिलीट हो सकता है। इसलिए महत्वपूर्ण डेटा का बैकअप लेना आवश्यक है।
बैकअप का अर्थ डेटा की नई कॉपी बनाने से होता है। जिससे मुख्य डेटा खराब व डिलीट होने पर बैकअप से इसे वापस रिस्टोर किया जा सके। बैकअप को आप किसी अन्य कंप्यूटर या स्थान पर भी स्टोर कर सकते हैं। यदि आपका कंप्यूटर खराब हो जाता है या वायरस से प्रभावित होता है तो आप इस बैकअप का प्रयोग करके खराब फाइल को सही व रीस्टोर कर सकते हैं। सिस्टम बैकअप मुख्य रूप से दो उद्देश्यों के लिए लाभप्रद होता है।
किसी बाहरी आपदा के बाद कंप्यूटर डेटा का वापस रिस्टोर करने के लिए।
कुछ निश्चित फ़ाइलों के दुर्घटनावश डिलीट व खराब होने के बाद उन्हें रिस्टोर करने के लिए।
डिवाइस ड्राइवर्स (Device Drivers)
डिवाइस ड्राइव एक विशेष प्रोग्राम होता है जो कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े उपकरण (जैसे- प्रिंटर, स्कैनर आदि) के लिए कार्य करता है। यह कंप्यूटर सिस्टम और इससे जुड़े उपकरणों के मध्य कम्यूनिकेशन की अनुमति देने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कार्य करता है। प्रत्येक बार कंप्यूटर सिस्टम स्टार्ट होता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी में सभी डिवाइस ड्राइवर्स लोड कर लेता है।
जब भी नई डिवाइस को कंप्यूटर सिस्टम से जोड़ा जाता है तो उसका ड्राइवर लोड करना आवश्यक होता है। विंडोज, सिस्टम सॉफ्टवेयर के साथ सैकड़ों भिन्न-भिन्न डिवाइस ड्राइवर उपलब्ध कराती है। अनेक उपकरणों के उपयुक्त ड्राइवर विंडोज के साथ स्वत: इन्स्टॉल हो जाते हैं। यदि किसी विशेष डिवाइस ड्राइवर विंडोज सिस्टम सॉफ्टवेयर के साथ नहीं आता है तो आप उसके निर्माता की वेब साइट से सीधे प्राप्त कर सकते हैं।
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