बैंक समाधान विवरण

बैंक समाधान विवरण

बैंक समाधान विवरण

जब भी आप बैंक मैं एंट्री होती है और अपने पास एंट्री रहती है इसको मिलान करना होता है जैसे आप ने बैंक खाते मैं एंट्री या कोई पेमेंट या बैंक चार्जेज होता है वो आपको पता नही होता आपके खाते मैं कुछ और बैंक खाते मैं कुछ और इसी को मिलाने के लिए बैंक समाधान विवरण बनाया जाता है।

बैंक समाधान विवरण बनाने की विधियां

  • बैंक समाधान विवरण हर महीने के लास्ट मैं तैयार किया जाता है जब हम बैंक से पुरे महीने के बैंक स्टेटमेंट को मागवा लेते है।
  • जब आपके पास बैंक स्टेटमेंट आ जाता है तो रोकड़ बही मैं आपके बैंक  का टोटल और आपके पासबुक के टोटल का शेष मिलाया जाता है अगर बैंक का शेष और रोकड़ बही का शेष नही मिल रहा है तो कुछ एंट्री आपके रोकड़ बही मैं नही है।
  • हमे मिलाने के लिए रोकड़ बही और बैंक पासबुक के सभी एंट्री को मिलाया जाता है।
  • जब भी आप बैंक समाधान विवरण बनाते है तो रोकड़ बही के बैंक खाने का डेबिट शेष और पासबुक या बैंक स्टेटमेंट का क्रेडिट शेष जोड़ राशी वाले खाने मैं दिखाया जाता है।
  • बैंक समाधान विविरण बनाते समय सभी लेन देन का रोकड़ बही या पासबुक के शेष पर प्रभाव को दिखाया जाता है यदि रोकड़ बही का शेष दिया हुआ है तो प्रत्येक लेन देन के प्रभाव का निर्धारण किया जाता है की क्या इससे रोकड़ बही का शेष बढ रहा है या घट रहा है यदि रोकड़ बही का शेष बढ़ता है तो लेन देन की राशि को घटाया जाता है।और यदि घटता है तो लेन देन की राशि को जोड़ा जाता है।
  • बैंक समाधान विवरण बनाते समय सभी लेन देन के प्रभाव को एक निश्चित तिथि को किया जाता है किसी एंट्री को घटाना है किसको जोड़ा जाना है।

कुछ नोट करने वाली बाते

-यदि बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही के डेबिट शेष से शुरू किया जाता है तो आपको पासबुक का क्रेडिट शेष ज्ञात हो जायेगा।

-यदि बैंक समाधान विवरण रोकड़ बही के क्रेडिट शेष से शुरू किया जाता है तो आपके पासबुक का डेबिट शेष होगा।

बैंक समाधान विवरण के लाभ क्या है जाने

1 . अगर कोई गलती हो गयी या भूल हो गयी तो बैंक समाधान विवरण के द्वारा पता लगाया जाता है।

2 . कर्मचारियों को पकड़ने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है।

3 . रोकड़ बही को पूरा करने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है।

4 . बैंक शेष को जानने के लिए बैंक समाधान विवरण को बनाया जाता है।

5 . ये बैंक और रोकड़ बही का शेष बराबर करता है।

बैंक समाधान विवरण का प्रारूप

बैंक समाधान विवरण
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बैंक समाधान विवरण की उपयोगिता

1.  रोकड़ बही तथा पासबुक के टोटल के अंतर का पता लगाने मैं इसका उपयोग किया जाता है।

2 . लेन देनो को लिखने के समय के अंतर का पता लगाने के लिए।

3 . लेन देन का लेखा करते समय गलतियों का पता लगाने के लिए।

4 रोकड़ बही और ओवरड्राफ्ट अकाउंट के क्रेडिट शेष का मिलान करने के लिए उपयोग किया जाता है।

कौन सा ट्रांसजकसन मैं रोकड़ बही मैं ऐड और बैंक मैं घठाया जाता है

  1. हमने चेक को इशू कर दिया पर उसे पेमेंट नही किया।
  2. ये कैश बुक मैं जो है वो ऐड किया जायेगा पर बैंक मैं घटाया जायेगा क्युकी बैंक से पेमेंट नही हुआ है।
  3. चेक डिपाजिट किया लेकिन बैंक मैं क्रेडिट नही हुआ है।
  4. इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढ़ाया जाता है।
  5. चेक इशू लेकिन कैश बुक मैं दर्ज नही हुआ।
  6. इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढाया जाता है।
  7. चेक दर्ज किया है कैश बुक मैं लेकिन डिपाजिट नही किया।
  8. इसमें कैश बुक मैं घटाया जाता है और पासबुक मैं बढाया जाता है।
  9. बैंक चार्जेज और इंटरेस्ट डेबिट किया गया बैंक से।
  10. कैश बुक मैं से घटाया जाता है और पासबुक मैं से ऐड होता है।
  11. इंटरेस्ट क्रेडिट किया गया बैंक मैं।
  12. इसमें कैश बुक मैं बढाया जाता है और पासबुक मैं ऐड होता है।
  13. बैंक मैं डायरेक्ट डिपाजिट किया कस्टमर ने।
  14. इसमें कैश बुक मैं प्लस किया जायेगा और पासबुक मैं घटाया जाता है।

नोट – सिंपल सा तरीका है जो हमारे बैंक मैं एंट्री है और हमारे कैश बुक मैं नही है ऐसा इसलिए होता है की बैंक चार्जेज या किसी कस्टमर ने पैसा जमा कराया ये अभी नही पता होता और जो हमे पता नही होगा वो हम हपने बैंक स्टेटमेंट से पता कर लेगे और अपने कैश बुक मैं उसको लिख देगे और जो हमारे कैश बुक मैं है और बैंक मैं नही है।

वो हम बैंक बुक मैं लिख कर दोनों का बैलेंस को मैच कर लेगे जिससे हमे ये पता चल जायेगा की हमारे बैंक मैं ये बैलेंस है और हमारे कैश बुक मैं ये बैलेंस है। इन दोनों का मिलान करने के लिए हमे बैंक समाधान किया जाता है।

Cash Book और Pass Book

Cash Book

  • Bank एवं व्यवसायी के बीच में होने वाले लेनदेनों को व्यवसायी के द्वारा जिस वही में लिखा जाता है उसे Cash Book कहा जाता है।
  • Bank एवं व्यवसायी के बीच होने वाले लेनदेनों को बैंक के द्वारा जिस वही में लिखा जाता है उसे कहा जाता है।
  • व्यवसायी जब भी बैंक में रुपया एवं चैक जमा करता है तो वह अपने Cash Book में Debit Side लिख लेता है और जब भी रकम का निकासी करता है तो वह अपने Cash Book में Credit Side लिख लेता है।
  • Cash Book में Debit Side अधिक होने पर समझा जाता है कि में रुपया जमा है परन्तु इसके विपरीत Credit Side अधिक होने पर समझा जाता है कि Bank में कुछ भी जमा नहीं है। उलटे Bank का ही व्यवसायी के ऊपर वकाया है अर्थात अधिनिकसी हो गया है।
  • इसे हम ऐसे भी कह सकते है कि Cash Book का Debit Balance जमा (Deposit) को दर्शाता है तथा Credit Balance अधिनिकसी (Overdraft) को दर्शाता है।

Pass Book

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  • Pass Book में Credit तरफ अधिक होने पर समझा जाता है कि व्यवसायी का Bank में रुपया जमा है और Debit Side अधिक होने पर समझा जाता है कि व्यवसायी का बैंक में कुछ भी नहीं बचा है। उलटे Bank का ही व्यवसायी के ऊपर वकाया है।
  • इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि Pass Book का Credit Balance जमा (Deposit) को दर्शाता है तथा Debit Balance अधिनिकसी (Overdraft) को दर्शाता है।
  • Cash Book और Pass Book को मिलाकर देखा जाय तो दोनों वहियों में एक ही तरह की बात नजर आता है।
  • फर्क सिर्फ इतना लगता है कि जिस लेन-देन को Cash Book में Debit तरफ लिखा जाता है उसे Pass Book में Credit तरफ लिखा जाता है और जिस लेन-देन को Cash Book में Credit Side लिखा जाता है उसे Pass Book में Debit Side लिखा जाता है।
  • Cash Book का Debit Balance और Pass Book का Credit Balance दोनों जमा शेष को दर्शाता है ।
  • इसी प्रकार Cash Book का Credit Balance और Pass Book का Debit Balance दोनों अधिनिकसी को दर्शाता हैं।

Cash Book एवं Pass Book के शेषों में अन्तर के मुख्य कारण

  1. चैक काटा गया परन्तु भुगतान के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया (Cheque issued but not presented for payment)
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2. चैक जमा किया गया परन्तु चढ़ाया नहीं गया (Cheque deposited but not credited)

3. चैक जमा किया गया परन्तु वसूली नहीं हुआ (Cheque deposited but not collected)

4. बैंक के द्वारा चैक अपमानित किया गया (Cheque Dishonoured by the bank)

5. चैक प्राप्त हुआ परन्तु भेजा नहीं गया (Cheque received but not send)

6. चैक जमा किया गया परन्तु Cash Book में Debit नहीं किया गया (Cheque deposited but not debited in cash book)

7. चैक काटा गया परन्तु Cash Book में Credit नहीं किया गया (Cheque issued but not credited in Cash Book)

8. ग्राहक के द्वारा रकम सीधे जमा किया गया (Amount directly deposited by the customer)

9. बैंक ने गलती से में नाम कर दिया (Bank wrongly debited in Pass Book)

10. बैंक ने गलती से में जमा कर दिया (Bank wrongly credited in Pass Book)

11. बैंक के द्वारा ब्याज दिया गया (Interest allowed by the Bank )

12. बैंक के द्वारा ब्याज लिया गया (Interest charged by the bank)

13. बैंक के द्वारा खर्च लिया गया (Expense charged by the bank)

14. बैंक के द्वारा कमीशन लिया गया (Commission)

Bank Overdraft (बैंक अधिविकर्ष)

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जब कोई खाताधारी अथवा ग्राहक किसी विशेष सुविधा के अंतगर्त अपने खाते में जमा धनराशि से अधिक राशि निकाल लेता है, तब उस स्थिति को अधिविकर्ष (Overdraft) कहा जाता है,

जैसे – अमर का बैंक में 1,00,000 रु. जमा था, पर उसने 1,25,000 रु. निकाल लिए तो उसके खाते में 25,000 रु. का ओवरड्राफ्ट शेष निकलेगा।

अधिविकर्ष की राशि पर बैंक एक निर्धारित दर से ब्याज वसूलता है जो बैंक की आय होती है और ग्राहक के लिए व्यय होता है।

अधिविकर्ष की दशा में रोकड़ खाते के बैंक कॉलम का शेष जमा शेष (Credit Balance) होता है और पास बुक का शेष डेबिट शेष (Debit Balance) होता है।

Overdraft की स्थिति में बैंक समाधान विवरण दो प्रकार से बनाए जा सकते हैं:

  1. रोकड़ बही के जमा शेष को आधार मानकर।
  2. रोकड़ बही के नाम शेष को आधार मानकर।

चैक का अपमान (Dishonoured Of Cheque)

किसी कारण वस बैंक के द्वारा चैक का भुगतान नहीं किया जाय तो उसे चैक का अपमान (Dishonoured Of Cheque) कहा जाता है।

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इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि किसी को चैक काटकर दिया जाए और उस व्यक्ति के द्वारा बैंक के पास चैक जमा करने पर बैंक के द्वारा इनकार कर दिया जाता है तो उसे चैक का अपमान कहा जाता है।

निम्नलिखित कारणों से चैक अपमानित होती है :

  • खाता संख्या गलत रहने पर
  • खाता में पर्याप्त राशि नहीं रहने पर
  • चैक नम्बर गलत रहने पर
  • हस्ताक्षर गलत रहने पर
  • 6 माह के बाद चैक को पेश किये जाने पर
  • Account Holder के द्वारा मना करने पर
  • चैक पर अस्पष्ट लिखावट रहने पर
  • चैक पर Over Writing हो जाने पर

उपरोक्त में से कोई भी कारण उपस्थित रहने पर बैंक चैक का भुगतान करने से इनकार कर देता है और

इसे ही चैक का अपमान (Dishonoured Of Cheque) कहा जाता है।

बैंक में कितने तरह के अकाउंट खोले जाते हैं

  1. Fixed Deposited Account (मियादी जमा खाता) :- जिस खाता में एक ही बार जमा और एक ही बार निकासी किया जा सकता है, उसे Fixed Deposited Account (मियादी जमा खाता) कहा जाता है।
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2. Recurring Deposited Account (आवर्ती जमा खाता ) :- जिस खाता में प्रतिदिन या प्रतिमाह एक निश्चित राशि जमा किया जा सकता है और समय पूरा होने पर निकासी एक ही बार किया जा सकता है, Recurring Deposited Account (आवर्ती जमा खाता )कहा जाता है।

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3. Saving Account (बचत खाता) :- जिस खाता में जमा कई बार किया जा सकता है परन्तु निकासी एक निश्चित बार ही किया जा सकता है उसे Saving Account (बचत खाता) कहा जाता है।

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4. Current Account (चालु खाता) :- जिस खाता में न जमा पर प्रतिबंध होता है और न ही निकासी पर प्रतिबंध होता है उसे Current Account (चालु खाता) कहा जाता है। इस खाते में चैक की सुविधा भी होती है और Overdraft की सुविधा भी होती है।

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रोकड़ बही के अनुसार शेष

  • रोकड़ बही के अनुसार शेष (Balance As Per Cash Book) का अर्थ है ग्राहक द्वारा रखी गयी रोकड़ बही के बैंक खाने का शेष।
  • रोकड़ बही के अनुसार नाम शेष से यहां अभिप्राय बैंक में रोकड़ से है। इसे रोकड़ बही के अनुसार अनुकूल शेष कहा जाता है
  • यदि सिर्फ रोकड़ बही के अनुसार शेष दिया हो तो इसे नाम शेष ही समझना चाहिए।
  • रोकड़ बही के जमा शेष को बैंक अधिविकर्ष (Overdraft) अर्थात रोकड़ बही के अनुसार प्रतिकूल शेष कहा जाता है।

पास बुक के अनुसार शेष

जब बैंक में ग्राहक के खाते में जमा धन उसके आहरण की राशि से अधिक हो तो इसे पास बुक के अनुसार शेष (Balance as per Cash Book )कहा जाता है।

इस स्थिति में पास बुक का शेष जमा शेष (Credit Balance) प्रदर्शित करता है।

यदि किसी कारणवश जमा धन से आहरणों की राशि अधिक हो जाए तो यह बैंक अधिविकर्ष समझा जायेगा और ऐसी स्थिति में पास बुक का शेष नाम शेष (Debit Balance) होगा।

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